दुर्गा पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार माँ दुर्गा की शक्ति और साहस को समर्पित है।
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दुर्गा पूजा के दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर दिन एक विशेष रूप को समर्पित होता है।
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दुर्गा पूजा की शुरुआत कलश स्थापना से होती है। यह शुभ कलश माँ दुर्गा की शक्ति का प्रतीक है।
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हर दिन माँ दुर्गा की आरती करना शुभ माना जाता है। यह आरती शांति और समृद्धि लाने में सहायक होती है।
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दुर्गा पूजा के समय दुर्गा सप्तशती का पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है। इसमें माँ दुर्गा की महिमा का वर्णन है।
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दुर्गा पूजा के अंतिम दिन महिलाएं सिंदूर खेला करती हैं, जो सौभाग्य और मंगल का प्रतीक है।
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माँ दुर्गा को प्रसाद चढ़ाने का विशेष महत्त्व होता है। भोग में खीर, लड्डू, और अन्य मिठाइयाँ चढ़ाई जाती हैं।
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दुर्गा पूजा के दौरान भव्य पंडालों का निर्माण किया जाता है। हर पंडाल की सजावट अलग और अनोखी होती है।
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दशमी के दिन माँ दुर्गा की विदाई होती है, जिसे विजया दशमी कहते हैं। यह विदाई भावनात्मक होती है, लेकिन अगले साल के आगमन की प्रतीक्षा रहती है।
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