आइए जानते हैं संत प्रेमानंद जी महाराज के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
संत प्रेमानंद जी महाराज का जन्म 8 मार्च 1950 को उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था।
बचपन से ही अध्यात्म की ओर रुझान होने के कारण वे किशोरावस्था में ही संतों के सान्निध्य में आ गए।
संत प्रेमानंद जी ने गुरु दीक्षा लेकर अपने गुरु के चरणों में समर्पण कर दिया और उनसे आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया।
उन्होंने समाज सेवा को अपने जीवन का उद्देश्य बनाया और गरीबों, विधवाओं, और जरूरतमंदों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया।
संत प्रेमानंद जी ने कई विद्यालयों और शिक्षण संस्थानों की स्थापना की ताकि शिक्षा का प्रसार हो सके।
वे विभिन्न स्थानों पर जाकर आध्यात्मिक प्रवचन देते थे और लोगों को धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते थे।
संत प्रेमानंद जी ने कई पुस्तकों की रचना की जो आज भी आध्यात्मिक साधकों के लिए मार्गदर्शन का स्रोत हैं।
उन्होंने कई आश्रमों की स्थापना की जहां लोग अध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त कर सकते थे और ध्यान कर सकते थे।
संत प्रेमानंद जी महाराज की शिक्षाएं और विचारधारा आज भी उनके अनुयायियों द्वारा जीवित रखी जा रही हैं, और वे लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।